ननिहाल या मामा घर
हां, में उन खुश नसीबों में से हु, जिन्होंने ननिहाल का लाड दुलार, सुख और ऐश्वर्य का भोग किया है। मेरे तीन मामा है, अब तो बॉम्बे वाले ही है। सबसे बड़े मामाजी की कोई ज़्यादा याद नहीं है। लेकिन उनका दुलार भरा चेहरा हमेशा ही आँखों के सामने आ जाता है, जब भी उनकी बात निकलती है। अजमेर वाले मामाजी का तो मेरे जीवन की सबसे मीठी यादों मे योगदान रहा है। पर आज मै बॉम्बे वाले मामाजी के बखान करुँगी। माँ कहती है मामाजी मे उसको नानाजी का रूप और गुण खूब दिखता है। नानाजी का तो सिर्फ धुंधला चेहरा ही याद है, लेकिन मामाजी को देखकर लगता है कि नानाजी बहुत ही गुणों के धनी ही होंगे। वे तो सरपंच थे और आस पास के सारे गाँवों मे उनके डंका बजता था। नानाजी पर भी कुछ लिखूंगी, मेरी माँ और भाई बहनो से पूछ कर उनका भी चित्रण करुँगी। मामाजी हमेशा ही भविष्य की ओर देखते है। उनके लिए अतीत का क्या महत्व है, उसका मुझे कोई इल्म नहीं है। जब हम परिवार जन मिलते है, तो हर किसी के पास गांव मे बिताया हुआ कोई न कोई किस्सा, कोई न कोई क्षण तो मिल ही जाता। मामाजी के अतीत की कोई कहानी उनकी ज़ुबानी आज तक नहीं सुनी। कभी सोचती हु की काश मे भ...